कहानी अनजानी सी !


शीर्षक: "अनजान सा हमसफर"

जब मै ऑफिस से लौट रहा था तो मैंने देखा
लड़की के लगभग हाथ से छूट चुकी स्कूटी को सभालने की कोशिश कर रही है।

देखिये मै भी मानता हू.।
लड़का-लड़की एक समान होते ह।
लेकिन अभी आपको एक लड़के की मदद ले लेनी चहिए...

मै मुश्कारता हुआ लड़की के पीछे खड़ा था..
मेरी बात सुनकर लड़की भी मुश्करा पड़ी।।

मैंने झट से स्कूटी उठाया और स्टैंड पर लगा दिया। मैंने कहा- कही जा रही थी क्या आप?

आ रही थी कॉलेज से...? लड़की ने कहा...

ओह्ह which year...? मैंने दोवारा पूछा?

लड़की मुश्कराई और बोली--- all years...

जबाब सुनते ही थोडा मै हैरान हुआ?
कुछ पूछता इससे पहले....

लड़की बोल पड़ी- प्रोफेसर दीप्ति...
डिग्री कॉलेज में पढ़ाती हू। चाय पीते हैना आप?
वो अपने घर का दरवाजा खोलते हुए बोली?

वैसे मेरा नाम आप नही है पंकज ह।
और मैकेनिकल इंजिनियर को चाय के लिए कभी मना नहीं करते। हँसते हुए मैंने कहा?

दरवाजा खुल चुका था। और मै दीप्ति के घर के अन्दर था।
दीप्ति का घर किसी लाइब्रेरी से कम नही था चारों तरफ बिखरी किताबें और मेज पर पड़ी बुकमार्क्स।।

और कमरे के दूसरे ओर उसके शिंगार के समान जिनमे दीप्ति का वाइटटोन*पाउडर पसंदीदा था।।।

और दीप्ति के बैड के समाने उसका दरवाजा और उसके दाई ओर ऊपर लगा बल्ब...

सॉरी घर थोडा थोडा विखरा*विखरा सा ह...
मै वो अकेली रहती हू तो थोडा ध्यान नही दे पाती...!

अकेली--- अकेली सुनकर मुझे थोडा अजीब लगा..
फिर मैं अपने आप को समझाकर बोला?
वो दरवाजे पर लगी गुप्ता जी की नेम प्लेट सिविल लाइन रोड की होगी..!

बात अनसुनी करके दीप्ति क़िताबे समेटने मे लग गयी!
वो उस दिन के लिए मै दोवारा सॉरी बोलना चाहूगी आपको पंकज मेरा मूड थोडा अपसेट था।

अरे कोई बात नही मै बात को काटते हुए बोला।
बल्कि! मुझे उस दिन भी आपने सॉरी बोला था।
लेकिन मै आपको ढंग से रेस्पोंस नही दे सका था...

तो मैकेनिकल इंजिनियर हो तुम।
किचिन में चाय चढ़ा के बाहर आई दीप्ति ने पूछा।।

घर वाले चाहते थे कि मै इंजिनियर बनू?
और तुम क्या बनना चाहते थे। दीप्ति ने पूछा?

पता नही? मैंने कहा?
अरे क्या मतलब (पता नही)

कभी सोचने का वक़्त ही नही मिला कि मुझको क्या बनना चहिए...
घर वाले जो बनाते गए मै वही बनता गया।।

आप भी क्या शुरू से पढाना चाहती थी?
हाँ, मैंने शुरू से वही किया जो मुझे अपने लिए अच्छा लगा...

फैमली कहाँ हैं आपकी...दीप्ति......मैंने हिचकिचाते हुए पूछा?

मम्मी*पापा ने मेरा साथ देना उचित नही समझा...
क्योंकि मै शादी अपने पसंद यानी कोर्ट मैरिज/लव मैरिज करना चाहती थी...
और घर में मुझ से बड़ी एक सिस्टर और ह जो इसी शहर में अपने पति के साथ रहती ह

पिछले ३ साल से घर छोड दिया ह।
अब किराये से रूम लेकर यही रहती हू।।
कहते हुए दीप्ति खाली कप प्लेट में रखने लगी। और चाय कप में भर दी...

लीजिये चाय पीजिये कहते हुई दीप्ति ने चाय से भरा कप मेरे ओर आगे बड़ा दिया...

मैंने याद किया अच्छा वो नेम प्लेट इनके मकान मालिक के नाम की ह...

मै उस दिन बची हुई शाम दीप्ति की बातों को और एक एक शब्द को बहुत गहराई से सोचता रहा...

3 साल से घर छोड़ दिया ह दीप्ति के चहरे पर इतना सा भी गम नही ह।।

मैंने फैसला किया की ऑफिस से आने पर ज्यदा से ज्यदा वक़्त दीप्ति के साथ बिताना चाहता हू...
दीप्ति को बिलकुल अकेला फील नही होने दूगा...

अगले दिन ऑफिस से थोडा ज़ल्दी आने के बाद दीप्ति का दरवाजा खटखटाया.. 

किसी ने दरवाजा नही खोला...?

मैंने दरवाजा फिर से खटखटाया...

इस बार दरवाजा खुला और सामने दीप्ति सर पे एक दुप्पटा कस के खड़ी थी...

मैंने हैरानी से पूछा क्या हुआ...?

दीप्तीं ने कहा - आज कॉलेज में काम थोडा सा ज्यदा हो गया था...बस थोडा सर दर्द हो रहा था.?

दवाई ली तुमने मैंने फिर से हैरानी के साथ पूछा...?

अरे सर दर्द की क्या दवाई? शाम तक ठीक हो जायगा...

बस यही प्रॉब्लम ह तुम लडकियों की... 
सर दर्द कोई मेहमान थोड़ी ह जो चाय पीके शाम तक चला जायगा...?

दरवाजा खुला रखना अभी लाते ह 2 मिनट में..?

इससे पहले दीप्ति कुछ कहती। मै पास के स्टोर की ओर दवाई लेने जा चुका था...

दीप्ति दरवाजे पर ही खड़ी रही। 2मिनट में मै दवाई लेकर वापस आ गया था...

उसी रात दीप्ति ने फेसबुक पर मुझे तलाश कर एक फ्रेंड रिक्वेस्ट भेज दी थी.।

हर बीतते पल के साथ दीप्ति का मेरे लिए पहली नजर का प्यार बढ़ता ही जा रहा था...।।

वो ऐसा ही लड़का अपने जीवन में चाहती थी..।
जो उसका खियाल रख सके। और डांटे न...
खूब सारा प्यार करे...

लेकिन मै जानता था कि ये बात मेरे घर में भूकम्प से कम नही होगी...?

अगले दिन यानी Saturday को फिर मै दीप्ति के घर पहुच गया...
जैसे ही दरवाजा खटखटाया...दरवाजा खुला और मैंने Delhi की दो टिकटे रख दी...

दीप्ति ने पूछा अरे ये क्या ह??

मैंने कहा अरे ऑफिस का कुछ वर्क ह और कल लगभग 2 से 3 घंटे में ही हो जायगा...
और बाकी टाइम फ्री ही रहेगे...।

ऑफिस से मै अकेला ही जा रहा था तो सोचा कल Sunday ह तो कल आप भी फ्री रहेगी क्यों न आपको साथ में ले चलू...

दीप्ति अनमना सा मूड करके बोली::-- उम्ह्ह नही पंकज मेरा मूड नही ह...

अरे क्या मूड नही ह। चलों सारी ज़िन्दगी #अकेली ही रहोगी.. क्या...?

मुझे अंदाजा नही था की अनजाने में मेरे मुह से क्या निकल गया ह...

दीप्ति बस टक*टकि लगाए मुझे घूर रही थी...

बड़ी ज़ल्दी अंदाजा लगा लिया आपने पंकज जी की मै अकेली हू...और किसी के साथ का इंतज़ार कर रही हू...
आपने सोचा यहाँ फैमली से अकेले दूर रह कर अकेली रह रही ह कोई नही ह तो दीप्ति अकेले*पन से अंदर ही अंदर घुट रही ह..

कन्सर्ट के लिए आये हो या मुझ पे दया दिखाने के लिए आये हो...

तुम गलत समझ रही हो दीप्ति...

मै सही गलत की नही तुम्हारी नज़रिए की बात कर रही हू पंकज...

तुमको लगा मै फैमली से अलग रह रही हू तो अंदर ही अंदर घुट रही हु...अकेलेपन से..

अपनी घुटन से लड़ने की हिम्मत ह मुझ में पंकज...

मै जो कहना चाहता था कह नही पा रहा था...

और

दीप्ति को जो कहना था वो कह के चुप हो चुकी थी..

मुझे कुछ अच्छा नही लग रहा था।।

इस लिए उस रात मै सो भी नही पाया था...

मै #माँ से बात करना चाहता था मै #दीप्ति से बात करना चाहता था...

इसी बीच सोचते सोचते मैंने माँ को कॉल कर दिया।

पापा का दीदी का और बुआ और मामा सब के हाल चाल पुछने के बाद मैंने हिम्मत करके कह ही दिया...?

मम्मी मै एक बात कहना चाहता था । आपसे..?

मम्मी बोली हाँ बोल बेटा..?

मैंने कहा: मै शादी के लिए तैयार हू..?

मम्मी ने शादी की बात सुनकर #सभी_भगवानों का एक साथ धन्यवाद दिया..

मैंने कहा मम्मी पहले पूरी बात तो सुन लो...लड़की मैंने देख रखी ह..?

सुनते ही फ़ोन के दोनों ओर ख़ामोशी छा गयी...

मम्मी: कौन है?

मैंने कहा दीप्ति नाम ह उसका...
हलाकि अभी मैंने उसको बताया नही ह कि मै उससे शादी करना चाहता हू...
पर आपको बता दे रहा हू कि उससे शादी करना चाहता हू और आप पापा को बता दीजिये की मै उससे शादी करना चाहता हू..

दीप्ति का पूरा नाम क्या है? मम्मी ने मुझ से पूछा..?

मै समझ गया था की मम्मी क्या पुछना चाहती ह?

मैंने कहा दीप्ति अपनी ब्रदारी (जाति) की नही ह...

मम्मी ने सुनते ही फ़ोन काट दिया...?

मुझे जो मम्मी से कहना था कह चुका था..

अब बस दीप्ति से बात करना था...

आज जाऊ-कल जाऊ-अब जाऊ...कब जाऊ...

बस यही सोचते सोचते दीप्ति के घर जाने का निशचय किया..

अगले ही पल दीप्ति के घर के दरवाजे पर था...
बहुत घबराते हुए मैंने
दरवाजा खटखटाया...

दरवाजे पर मुझे देखकर दीप्ति बहुत परेशान सी लग रही थी।।

दीप्ति न तो तुम पर ऐसान कर रहा हु और न ही कोई सहानभूति देने आया हू

पर अभी अभी मैंने अपनी मम्मी को बता दिया ह। की मै तुमसे शादी करना चाहता हू...

प्लीज एक पल के लिए भी अपने आप को ठगा या बेचारी महसूश मत करना...

ये मेरे जीवन का शायद पहला बड़ा फैसला ह जो मैंने खुद लिया ह...

तुम पे इसको थोपने की न मंशा ह न हिम्मत..

दीप्ति ने कुछ पल मेरी आँखों में देखा...और बोली..?

कल मुझे कॉलेज ज़ल्दी जाना ह गुड नाईट...

दरवाजा बंद कर लिया..?

बस मैं उसी बीच सोचते सोचते अपने घर आकर,,,

रात के अंधेरे में बंद कमरे में उसी के जवाब के बारे में सोचता रहा...

बरसात के दिन थे पानी रिमझिम रिमझिम बरस रहा था उस रात लाईट थी नही इसलिए मैं कमरे में ही बरसात के कीड़ों की आवाज़ साफ सुन पा रहा था। इसी बीच मे कब सो गया मुझे पता ही नही चला...

अगले दिन दीप्ति ने फेसबुक पर मुझे मैसेज किया......

मैसेज में लिखा था......

“हेल्लो पंकज, मैं बैसे तो इस शहर में बहुत लोगो से घिरी हुई हूँ पर मैं अंदर से बहुत अकेली हूँ और अब तक तुमने मुझे हर वो खुशी और साथ दिया है जो मैंने आज तक जाने अनजाने में भी नही सोचा था। और हां मैंने उस दिन थोड़ा एग्रेसिव मूड में तुम से जो कुछ भी कहा था प्लीज उसके लिए अपने अंदर मुझे माफ़ कर देना बस मैं अब और अकेली नही रहना चाहती...
मेरा दामन और हाथ अब तुम ही थाम सकते हो, क्योंकि ये मेरी लाइफ का सबसे बड़ा फैसला है जो मैंने तुमसे पहले और आज से 4 साल पहले ले लिया था। बस ऐसे किसी रिश्ते की तलाश कर रही थी जो मुझ-में मेरी कमी पूरी कर दे यानी रिश्तों को उस गहराई और सच्ची सिद्दत से निभाये और वो प्यार स्नेह करे जो कभी किसी बात की कमी महसूस ना होने दे बस यही चाहा मैंने लाइफ में शुरू से....

मुझे शब्दों का और बात के लहज़े का नही पता कि मैं अपनी बात किस अंदाज़ में रख रही हूँ पर उम्मीद है तुम मेरी हर एक लम्हें को ऐसे भर दोगे जैसे एक गुलाब टूटने के बाद ठीक उसमे एक नई शाख ले आता है।

तुम्हारे मैसेज का वेट करुँगी.....”

और

जब मैंने उसका मैसेज पढ़ा तो मैं अपने होश को खो बैठा था उस शाम...

बस आज हमारा और उसका साथ बहुत निराला है 
आज मैं और दीप्ति साथ है और राव्या नाम की एक बेटी है हमारी...

Comments

  1. Bht khubsurti se anjam diya h Apne is kahani ko 👍👍👍👌👌👌👌

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