आज हम बात करते है "सत्य" की....

#अपनी_ही_कलम_से_पंकज_झा
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आज हम बात करते है "सत्य" की, ये सत्य
क्या है ? इसका हमारे जीवन पे क्या प्रभाव
पड़ता है और किस तरह से सत्य
का ज्यादा से ज्यादा प्रयोग करके हम अपने
जीवन में जल्द से जल्द सफल हो सकते है।
सत्य वो है जो हमेशा हमारे आस-पास
घटित होता है लेकिन केवल
वो नहीं होता है जो हमें दिखाई देता है,
कभी-कभी सत्य को देखने से
ज्यादा उसको महसूस
किया जाना जरूरी होता है,किसी ने सच
ही कहा है कि"आपका भला चाहने वाला,
आपसे अच्छी बुरी लगने वाली सब तरह
की बातें करता है, पर आपको धोखा देने
वाला आपसे केवल अच्छी लगने वाली बातें
ही करता है"कहने का मतलब इस दुनिया में
आधे से ज्यादा लोग सच को सामने
ना लाकर अपने फायदे के लिए सिर्फ
दिखावा करते है पर हमें उनके हाव-भाव,
व्यवहार और बोल-चाल के ढंग से सच
का पता लगाना पड़ता है क्योंकि कोई
कितना भी बड़ा झूठ, भले
कितनी भी सफाई से क्यों ना बोले लेकिन
उससे थोड़ा तर्क वितर्क करके सच्चाई
की तह तक लाया जा सकता है, सच की एक
और खासियत होती है कि"सच्च को याद
नहीं रखना पड़ता", आदमी सबसे एक जैसा झूठ
नहीं बोलता है और कभी-कभी ये तक भूल
जाता है कि उसने आखिरी बार कौनसे झूठ
का सहारा लिया था और इस तरह से कुछ
अलग झूठ बोलकर वो पकड़ा जाता है।
#सत्य का हमारे जीवन से सीधा संबंध है।।
आपकी नजर में सच कितना जरूरी हैं और
क्या अहमियत रखता हैं..

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आज इंसान के लिए
खुशी ढूँढ़ना मानो रेगिस्तान में
पानी तलाशने जैसा हो गया है।
किसी को देने के लिए इंसान के पास
खुशी रह ही नहीं गयी है। आज खासकर बड़े
शहरों में लोग जैसी भाग-दौड़
वाली ज़िंदगी जी रहे हैं, उससे वे एक-दूसरे से
दूर होकर खुद में सिमटकर रह गए हैं।
“अकेलापन महसूस करना आज एक आम बात है
और इसमें दो राय नहीं कि ईंट-
पत्थरों की इमारतों के बीच अकेलापन
पसरा हुआ है। अपने साथ काम करनेवालों,
पड़ोसियों या घर के पासवाले दुकानदार
से हमारा रोज़ मिलना तो होता है लेकिन
शहरी ज़िंदगी हमें इस कदर नीरस बना देती है
कि ये सभी हमारे लिए अजनबी बनकर रह
जाते हैं। हमें
पता ही नहीं होता कि उनकी #ज़िंदगी
में क्या हो रहा है।” इस तरह कटे-कटे रहने से
लोग हताशा की गिरफ्त में आ जाते हैं।
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