सिगरेट मेरा कफ़न
चरस मेरी जिंदगी
और
सिगरेट मेरा कफ़न
जिस मिट्टी से बनी चिलम...
उसी मिट्टी में दफ़न,
सुट्टे उड़ा ले, ज़िन्दगी के मज़े उड़ा ले,
मर गया तो कब्र के हवाले,
फिर कौन बोलेगा....
उठ यार एक कस और लगा ले...
Namaskar Doston, Aap sabhi ke liye is blog par main har week me 2 post lekar aata hoon jo hamari aam zindagi se judi hoti hai... Kai Dafa main is blog par un kisson ko share karta hoon jo aapke aur hamare beech me Rojana Aam Zindagi me ghat-te rehte hai. --PANKAJ JHA (JHANFROMJHANSI)
चरस मेरी जिंदगी
और
सिगरेट मेरा कफ़न
जिस मिट्टी से बनी चिलम...
उसी मिट्टी में दफ़न,
सुट्टे उड़ा ले, ज़िन्दगी के मज़े उड़ा ले,
मर गया तो कब्र के हवाले,
फिर कौन बोलेगा....
उठ यार एक कस और लगा ले...
पंकज जी बहुत ही खूबसूरत कविता लिखी है। आपने बहुत ही अच्छे तरीके पुरे रूप को समझाया है । आपकी यह रचना बहुत अच्छी है। आप शब्दनगरी पर भी ऐसी रचनाएं लिख सकते हैं। वहां पर भी तलब ऐसी की फ्लाइट में चुपके से फूंक ली सिगरेट , उसके बाद जो हुआ जैसे लेख पढ़ व् लिख सकते हैं।
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