Specially Dedicated to "Yaad Sheher"
बात पे बात पे अपनी ही बात कहता है मेरे अन्दर मेरा छोटा सा शहर रहता है
"यादो के इन बाक्स पे क्या क्या चलता है देखो तो"
प्यार किया है आपने, प्यार खोया है आपने, प्यार करना चाहके भी प्यार न जतापाने का अवशोष किया है आपने!
प्यार का इंतजार किया है आपने प्यार का दर्द चखा है आपने कितने रंग हैना प्यार के! कितने चेहरे है इसके और हम सब ने कभी-न-कभी इनमे से एक चेहरा जरूर ओढा है, कभी-न-कभी हम कालेज कैन्टीन की किसी मेज पे किसी चेहरे के इंतजार मे बैठे है,
कभी-न-कभी ग्रीटिँग कार्ड की दुकान मे घन्टे बिताये है वो कार्ड ढूड़ने मे जो अपने मन मे चल रही हजार बातो को एक लाईन मे कह सके! कभी-न-कभी आज भी मीठा अवशोष कर लेते हैना हम !
उस एक रिशते की याद मे चुनई जिया! उस चेहरे की याद मे जिससे अपने मन की बात नही कह पाये! कभी-न-कभी तकलीफ जी लेते है, हैना हम!
कितने अलग-अलग मुखोटे पहन के ये वहरूपिया कब किस भेस मे हमारी देहलीज पर आयेगा! क्या पता?
कभी हँसता, कभी मुशकराता, कभी रूठता, कभी मनाता, कभी गम देता, कभी गुदगुदाता!
लेकिन जो भी हो जैसा भी हो अच्छा लगता है ये प्यार का वहरूपिया नये-नये किसे जो सुनाता है मन की खिड़की से बाहर झाकिये दूर आकाशो मे कोई चेहरा है कोई जगह है कोई लम्हा है
कोई किस्सा है मिलाईये उससे! कोई लम्हा आपकी याद मे है कोई लम्हा आपके आज मे है,
1) कभी पडोस के दरवाजे से झाँकता है कोई चेहरा
2) कभी बस मे तीन सीट आगे बैठा है कोई चेहरा
3) कभी शादी मे लेडीज संगीत मे शर्मा के देखता है कोई चेहरा
4) कभी दफ्तर के कैफेटेरिया मे आपके इंतजार मे दूसरी काफी खतम कर चुका होता है कोई चेहरा
कितने खुबशुरत हैना ये प्यार के किस्से न उर्म का मुँह देखते है न समाज से पलटकर ईजाजत माँगते है बस बन जाते है प्यार के किस्से !
किसी हरी भरी लम्हो की वेल की तरह हमारे मन से लिपट जाते है किसी बच्चे की मासूम आंखो की तरह हम से सवाल करते है किसी के पहले स्पर्श की तरह कितना कुछ अनकहा कह जाते है
रोज कहानियो के शहर से सुनाऊगा आपको एक प्यार का किस्सा!
.
[याद शहर]..
"यादो के इन बाक्स पे क्या क्या चलता है देखो तो"
प्यार किया है आपने, प्यार खोया है आपने, प्यार करना चाहके भी प्यार न जतापाने का अवशोष किया है आपने!
प्यार का इंतजार किया है आपने प्यार का दर्द चखा है आपने कितने रंग हैना प्यार के! कितने चेहरे है इसके और हम सब ने कभी-न-कभी इनमे से एक चेहरा जरूर ओढा है, कभी-न-कभी हम कालेज कैन्टीन की किसी मेज पे किसी चेहरे के इंतजार मे बैठे है,
कभी-न-कभी ग्रीटिँग कार्ड की दुकान मे घन्टे बिताये है वो कार्ड ढूड़ने मे जो अपने मन मे चल रही हजार बातो को एक लाईन मे कह सके! कभी-न-कभी आज भी मीठा अवशोष कर लेते हैना हम !
उस एक रिशते की याद मे चुनई जिया! उस चेहरे की याद मे जिससे अपने मन की बात नही कह पाये! कभी-न-कभी तकलीफ जी लेते है, हैना हम!
कितने अलग-अलग मुखोटे पहन के ये वहरूपिया कब किस भेस मे हमारी देहलीज पर आयेगा! क्या पता?
कभी हँसता, कभी मुशकराता, कभी रूठता, कभी मनाता, कभी गम देता, कभी गुदगुदाता!
लेकिन जो भी हो जैसा भी हो अच्छा लगता है ये प्यार का वहरूपिया नये-नये किसे जो सुनाता है मन की खिड़की से बाहर झाकिये दूर आकाशो मे कोई चेहरा है कोई जगह है कोई लम्हा है
कोई किस्सा है मिलाईये उससे! कोई लम्हा आपकी याद मे है कोई लम्हा आपके आज मे है,
1) कभी पडोस के दरवाजे से झाँकता है कोई चेहरा
2) कभी बस मे तीन सीट आगे बैठा है कोई चेहरा
3) कभी शादी मे लेडीज संगीत मे शर्मा के देखता है कोई चेहरा
4) कभी दफ्तर के कैफेटेरिया मे आपके इंतजार मे दूसरी काफी खतम कर चुका होता है कोई चेहरा
कितने खुबशुरत हैना ये प्यार के किस्से न उर्म का मुँह देखते है न समाज से पलटकर ईजाजत माँगते है बस बन जाते है प्यार के किस्से !
किसी हरी भरी लम्हो की वेल की तरह हमारे मन से लिपट जाते है किसी बच्चे की मासूम आंखो की तरह हम से सवाल करते है किसी के पहले स्पर्श की तरह कितना कुछ अनकहा कह जाते है
रोज कहानियो के शहर से सुनाऊगा आपको एक प्यार का किस्सा!
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[याद शहर]..
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