दिल्ली रेप केस की पीड़िता "दामिनी" के लिए

अपनी ही कलम से पंकज झां:


दिल्ली रेप केस की पीड़िता "दामिनी" के लिए एक बहुत ही मार्मिक कविता अर्पण की हैं. ये कविता उस लड़की का दर्द बताते हुए आपसे भी कुछ कह रही है जरा पढिये --

माँ बहुत दर्द सह कर ....
बहुत दर्द दे कर ...
तुझे कुछ कह कर मैं ..... जा रही हूँ .....

आज मेरी विदाई में जब शखियाँ मिलने आएँगी ....
सफ़ेद जोड़े में लिपटी देख सिसक सिसक मर जाएँगी .....
लड़की होने का फिर वो खुद पर अफ़सोस जताएंगी ....
माँ तू उनसे इतना कह देना.... इस दरिंदो की दुनिया में संभल कर रहना .....
माँ राखी पर जब भाई की कलाई सुनी रह जाएँगी....
याद मुझे कर जब उसकी आँख भर आएँगी....

तिलक माथे पर करने को माँ रूह मेरी भी मचल जाएँगी .....
माँ तू भैया को रोने ना देना....
मैं साथ हूँ हर
पल उससे तू कहना ......

माँ पापा भी चुप-चाप बहुत रोयेंगे ....
मैं कुछ ना कर पाया ये कह कर खुद को
कोसेंगे ....
माँ दर्द उन्हें ये होने ना देना ....
इल्ज़ाम कोई लेने ना देना ....

वो अभिमान है मेरा सम्मान है मेरा....
तू उनसे बस इतना ही कहना .....

माँ तेरे लिए अब मैं

क्या कहूँ....
दर्द को तेरे, मैं शब्दों में कैसे बाँधूं....
फिर से जीने का मोका कैसे मांगू ....

माँ लोग तुझे सतायेंगे ....
मुझे आज़ादी देने का तुझपे इल्ज़ाम लगायेंगे ....
माँ सब सह लेना पर ये ना कहना ....
"अगले जन्म मोहे बिटियाँ ना देना"...
लेखक: [ पंकज झां ]

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